कल्याणी व्यू, नैनीताल रोड, रुद्रपुर - 263153

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हमारे बारे मे



सरस्वती शिशु मन्दिर इण्टर कालेज का प्रारम्भ सन् 2004 में कक्षा षष्ठ से प्रारम्भ किया गया तथा कक्षा 6, 7, 8 की मान्यता 2005 में प्राप्त हुई तथा वर्ष 2007 में कक्षा.नवम् प्रारम्भ की गई एवं वर्ष 2009 में हाईस्कूल तथा वर्ष 2011 में इण्टरमीडिएट की मान्यता प्राप्त हुई। सन 2013 में इण्टर के छात्र/छात्राओं ने बोर्ड परीक्षा में प्रतिभाग किया। विद्यालय हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में प्रत्येक वर्ष बोर्ड की वरीयता सूची में स्थान प्राप्त कर रहा है।



त्यौहार और उत्सव

जहॉं तक त्यौहारों का संबंध है, विद्यार्थी सारे राष्ट्रीय त्यौहारों जैसे गांधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, शिक्षक दिवस, गुरू नानक जयंती और इसी प्रकार के अन्य त्यौहार महान उत्साह से मनाते हैं

बौद्धिक क्रियाकलाप

ये प्रतियोगिताओं यथा भाषण, उच्चारण, कहानी वाचन, हस्तलेख, मेंहदीमॉंड़, गणित प्रश्नमंत्र, विज्ञान प्रश्नमंत्र और अन्य इसी प्रकार के क्षेत्र सहित सार्थकरूप से संगठित किए जाते है।

खेलकूद

खेलकूद हमारे विद्यालय में प्रोत्साहित किया जाता है । श्रेष्ठ खेलकूद सुविधाओं और विविध खेल विधाओं में समर्पित प्रशिक्षकों ने विद्यालय खेलदल का निर्माण्ध किया है ।



इतिहास

सन् 1947 में देश को अंग्रेजी शासन से मुक्ति मिली। देश का स्वाभिमान फिर से जगे, नई पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति जागृत हो इसके लिए अविष्कार था शिक्षा पद्धति में सुधार हो। ऐसा उस समय का नेतृत्व भी कहता था, परन्तु इस ओर किसी का प्रयास नहीं हो रहा था। ऐसी रिक्तता, शून्यता की स्थिति में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तत्कालीन प्रान्त प्रचारक मा0 भाऊराव देवरस जी के परामर्श से संघ के वरिष्ठ प्रचारक मा0 नाना जी देशमुख एवं श्री कृष्ण चन्द्र गाँधी के प्रयास से सन 1952 में गोरखपुर में शिशु मन्दिर के रूप में एक दीप जला। जीवन में अनेक महत्वाकांक्षाओं को पालने वालोें को शिशु मन्दिर का आचार्य बनने के लिए प्रेरित किया गया। एक दीप से अनेक दीप जलने लगे। इसी योजना को लेकर सन् 1954 में रामपुर (मोती महल) में दूसरा शिशु मन्दिर स्थापित हुआ। इसी श्रंखला में 1 जुलाई सन् 1957 को आर0 आर0 क्वार्टर में शिशु वाटिका के रूप में रूद्रपुर शिशु मन्दिर का शुभारम्भ हुआ। सन् 1960 तक उत्तर प्रदेश में अनेक शिशु मन्दिर खुले। समाज के सभी वर्गों ने बिना राजनीतिक भेदभाव के अपने बच्चों को शिशु मन्दिर खुले। समाज के सभी वर्गों ने बिना राजनीतिक भेदभाव के अपने बच्चों को शिशु मन्दिर में भेजा। सन् 1964 को विद्यालय को सरस्वती शिशु मन्दिर के रूप में कक्षा पंचम तक की मान्यता प्राप्त हुई। विद्यालय के संस्थापक व्यवस्थाक डाॅ0 सतीश चन्द्र रस्तोगी एवं अध्यक्ष मनोहर लाल तथा प्रधानाचार्य विजयपाल थे।



विद्या भारती की प्रेरणा एवं प्रबन्ध समिति के कुशल निर्देशन में विद्यालय निरन्तर प्रगति करते हुए सन् 2004 में कक्षा अष्टम तक उच्चीकृत हुआ तथा सन् 2009 में विद्यालय को उत्तराखण्ड बोर्ड से हाईस्कूल तक कक्षा संचालित करने की मान्यता प्राप्त हुई। इसी क्रम को सफलतापूर्वक आगे बढ़ते हुए सन् 2011 में उत्तराखण्ड बोर्ड द्वारा इण्टरमीडिएट की कक्षाओं की मान्यता प्राप्त हुई। वर्तमान में विद्यालय के प्रबन्धक सुनील खेड़ा, अध्यक्ष सुरेश चन्द्र गुप्ता एवं कुशल प्रबन्ध समिति, कर्मठ एवं सुयोग्य प्रधानाचार्य एवं आचार्यों के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में हिन्दी माध्यम के विद्यालय के रूप में विशिष्ट पहचान बनाये हुए है। वर्तमान समय में विद्यालय की प्राथमिक कक्षायें अंग्रेजी माध्यम से संचालित हो रही है। योजनानुसार माध्यमिक कक्षाओं का संचालन भी अंग्रेजी माध्यम से होने जा रहा है।


आज विद्यालय नगर के प्रतिष्ठित विद्यालयों में से एक है। विद्यालय का बोर्ड परीक्षा परिणाम उत्तम रहता है। भैया/बहन वरीयता सूची में अपना स्थान बनाकर सम्पूर्ण क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं। वहीं कला, साहित्य, विज्ञान, शारीरिक प्रतियोगिताओं में भी निरन्तर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।


यह सब विद्या भारती की प्रेरणा, भारतीय शिक्षा समिति उत्तराखण्ड का कुशल दिशा निर्देश एवं प्रबन्ध समिति का कुशल नेतृत्व तथा आचार्य परिवार की सक्षम सूझबूझ और भैया/बहिनों के अथक परिश्रम का ही परिणाम है।


विद्यालय के पुरातन छात्रों ने आई0ए0एस0, पी0सी0एस0, इंजीनियर, अधिवक्ता, चिकित्सक, राजनेता, समाज सेवा एवं कुशल व्यवसायी के रूप में क्षेत्र में अपना विशेष स्थान बनाया है।

प्रातःकालीन सभा

    प्रातः कालीन सभा प्रतिदिन सुबह कुछ मिनट सभा के लिए बिताए जाते है और विद्यार्थी क्रम से उस दिन का विचार और साथ ही साथ दिन के महत्वपूर्ण समाचारों को बोलते हैं।

    विद्यालय पत्रिका ‘देवपुत्र‘ परिचालन में है जो संपूर्ण विद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों की लाक्षणिक विशेषताओं को प्रकट करता है ।

    पुस्तकालय और प्रयोगशालाएॅं

    पुस्तकालय विद्यार्थियों को पुस्तकें, समाचार पत्र और पत्रिकाएॅं पढ़ने के लिए आमंत्रित करता है । यह लगभग सभी प्रकार के और सभी विषयों के पुस्तकों का भडारगृह है ।

    हमारा लक्ष्य

    आज के बालक को एक समर्थ, जिम्मेदार, प्रदर्शनपूर्ण नागरिक बनाने एवं बडे़ पैमाने पर शिक्षण एवं पैतृक समुदाय का सहयोग लेते हुए एक परिपक्व शिक्षण वातावरण तैयार करने के द्वारा पूर्ण विकास के योग्य बनाना ।